लन्दन में 'जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर' ....
- कविता वाचक्नवी
यह अमर शहीद ऊधम सिंह (26 दिसंबर 1899 - 31 जुलाई 1940) का चित्र है, जिनका आज बलिदान-दिवस है।
यह चित्र लन्दन में लिया गया था। जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड का बदला लेने के लिए 13 मार्च 1940 को उन्होंने 10 कैक्स्टन हाल में सभा के मध्य मंच पर स्थित पंजाब के तत्कालीन (जलियाँवाला बाग काण्ड के समय) गवर्नर Michael O'Dwyer को सिर में दो गोलियाँ मार कर उसकी हत्या कर दी थी व पुलिस उन्हें गिरफ़्तार कर ले गई थी। अपनी गिरफ्तारी (और सुनिश्चित मृत्युदण्ड) के अवसर पर भी उनके चेहरे पर हँसी इस चित्र में साफ देखी जा सकती है; जबकि तीन अंग्रेज़ अधिकारियों के मुख पर बहुत तनाव दीख रहा है।
यहाँ पाठकों की जानकारी के लिए जोड़ना चाहूँगी कि गोलियाँ चलाने का आदेश देने वाला जनरल डायर (General Reginald Dyer) था और जब यह हत्याकाण्ड हुआ था उस समय पंजाब के गवर्नर Michael O'Dwyer, ये दोनों अलग-अलग व्यक्ति थे। हिन्दी में दोनों के नाम का उच्चारण 'डायर' कर देते हैं, तो अब तक यह भ्रांति चली आई है कि उधम सिंह जी ने जनरल डायर को मारा था। जबकि उधम सिंह जी ने जलियाँवाला काण्ड के समय पंजाब के गवर्नर के रूप में आदेश देने वाले Michael O'Dwyer की हत्या की थी।
यहाँ पाठकों की जानकारी के लिए जोड़ना चाहूँगी कि गोलियाँ चलाने का आदेश देने वाला जनरल डायर (General Reginald Dyer) था और जब यह हत्याकाण्ड हुआ था उस समय पंजाब के गवर्नर Michael O'Dwyer, ये दोनों अलग-अलग व्यक्ति थे। हिन्दी में दोनों के नाम का उच्चारण 'डायर' कर देते हैं, तो अब तक यह भ्रांति चली आई है कि उधम सिंह जी ने जनरल डायर को मारा था। जबकि उधम सिंह जी ने जलियाँवाला काण्ड के समय पंजाब के गवर्नर के रूप में आदेश देने वाले Michael O'Dwyer की हत्या की थी।
लन्दन के न्यायालय में अपने वक्तव्य में न्यायाधीश द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि "मैंने उन्हें इसलिए मारा क्योंकि वे इसी योग्य थे और उनके साथ यही होना चाहिए था"। अतः 31 जुलाई 1940 को आज ही के दिन उन्हें लन्दन की Pentonville Prison में फाँसी दे दी गई। उसी जेल परिसर में उनका शव गाड़ दिया गया क्योंकि तब यहाँ भारतीय विधि से अन्तिम संस्कार की अनुमति नहीं थी। लम्बे अरसे बाद वर्ष 1974 में उनकी अस्थियाँ भारत लाई गईं ।
मेरे साथ यह सौभाग्य जुड़ा है कि वर्ष 1974 में जब उनकी अस्थियाँ भारत पहुँचीं थी, तब हमारे पिताजी मुझे व मेरे भाई को उनके दर्शन करवाने स्वयं ले गए थे। दूसरा सौभाग्य यह लन्दन में भारतीय क्रांतिकारियों व नायकों से जुड़े स्थलों के हमने स्वयं जाकर दर्शन किए हैं। अपनी उस चित्रावली से '10 कैक्स्टन हाल' (जहाँ उन्होने गोली चलाई थी) तथा 'Pentonville जेल' (जहाँ उन्हें फाँसी दी गई और जहाँ 1940 से 1974 तक उनका शव रखा था) पर जा निजी कैमरा से स्वयं लिए गए वे चित्र भी यहाँ दे रही हूँ -
10 कैक्स्टन हॉल, लन्दन ©KV |
10 कैक्स्टन हॉल, लन्दन ©KV |
10 कैक्स्टन हॉल, लन्दन ©KV |
10 कैक्स्टन हॉल, लन्दन ©KV |
10 कैक्स्टन हॉल, लन्दन ©KV |
Pentonville जेल, लन्दन ©KV |
Pentonville जेल, लन्दन ©KV
Pentonville जेल, लन्दन ©KV |
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