केदार सम्मान 2013
‘रोशनी के रास्ते पर’ के लिए अनीता वर्मा सम्मानित
कविता अपराध बोध से मुक्त करती है – नरेश सक्सेना
अनीता वर्मा की कविताएँ सकारात्मक एवं संवेदनात्मक जीवन की माँग रचती कविताएँ हैं जो एक ऐसे आंतरिक विश्वास को मुट्ठी में कसकर आगे बढ़ती हैं कि ‘हत्यारे समय’ में भी घर और ‘पतझड़ समय’ में हरी संवेदना का अनुरोध बचा रहे। ये कविताएँ समाज की निस्तेज सतह के नीचे दबे पड़े अर्धपूर्ण अन्तर्विरोधों को उभारती हुई बृहत्तर समाज के दु:ख दर्द, निराशाओं उत्साहों, आवेगों की सहभागी होती हैं और उम्मीद का हाथ पकड़ कर दार्शनिक समयहीनता के वीरान में भटकने से बच जाती हैं। अनीता वर्मा की कविताएँ अभियानों में शामिल होने के आग्रह की कविताएँ हैं। वरिष्ठ कथाकार महेश कटारे ने अनीता वर्मा की कविताओं पर यह वक्तव्य उन्हें केदार सम्मान 2013 दिए जाने के अवसर पर दिया।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के इलाहाबाद स्थित क्षेत्रीय केंद्र के सत्यप्रकाश मिश्र सभागार में इलाहाबाद के तमाम वरिष्ठ साहित्यकारों एवं सुधीजनों के बीच वरिष्ठ कवि श्री नरेश सक्सेना एवं वरिष्ठ कथाकार श्री विभूति नारायण राय के द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र, शॉल, स्मृति चिन्ह और सम्मान राशि प्रदान की गई। सम्मान समारोह के अध्यक्ष श्री नरेश सक्सेना ने कहा कि अपने से युवतर कवियों को सम्मानित होते देखना बहुत सुखद अनुभव है। अनीता वर्मा की कविताओं में जटिलता नहीं है। उन्हें लगातार मनुष्यता माँजती रहती है। उनकी कविताएँ अपराधबोध से मुक्त करती हैं। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि श्री विभूति नारायण राय ने कहा कि अनीता वर्मा की कविताएँ मुझे इसलिए प्रिय हैं, क्योंकि वे समय और अपने समाज से मुठभेड़ करती हैं। संकट के दौर में उनकी कविताएँ याद आती हैं यही इनकी ताकत है।
सम्मान प्राप्त करने के उपरान्त सुश्री अनीता वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि कविता पढ़ने और पढ़ाने के क्रम में मेरा केदारनाथ अगवाल की कविता से गहरा परिचय हुआ। उनकी कविता के सहज मानवीय विंब मुझे प्रभावित करते हैं। जनता के चहेते ऐसे कवि के नाम पर स्थापित सम्मान को ग्रहण करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा मेरे लिए कविता जीवन की तरह है, वह हृदय से निकलती हुई एक आवाज है। यह अन्तर के स्पंदनों के साथ-साथ बाहर की आवाजों की भीतर ले जाकर गुंजाने की एक छोटी- सी कोशिश है।
केदार शोधपीठ (न्यास) बांदा द्वारा आयोजित इस गरिमापूर्ण सम्मान समारोह का संचालन डॉ. संजय श्रीवास्तव ने किया। अतिथियों का स्वागत प्रो. ए.ए. फातमी, श्री असरार गांधी, प्रो. अनीता गोपेश, सुश्री संध्या नवोदिता द्वारा किया गया। समारोह के अंत में समस्त अतिथियों एवं सुधीजनों का आभार केदार सम्मान समारोह के सह संयोजक प्रो. संतोष भदौरिया ने किया।
केदार सम्मान समारोह में प्रमुख रूप से जियाउल हक, रामजी राय, ए.ए. फातमी, असरार गांधी, हरीशचन्द्र पाण्डेय, उमेश नारायण शर्मा, असरफ अली बेग, अनीता गोपेश, अनुपम आनन्द, के.के. पाण्डेय, जयकृष्ण राय तुषार, नीलम शंकर, सालेहा जर्रीन, फखरूल करीम, संध्या नवोदिता, रामायन राम, सुभाष चन्द्र गांगुली, एहतराम इस्लाम, रतिनाथ योगेश्वर, श्रीरंग पाण्डेय, अनिल सिंह, अनिल रंजन भौमिक, आनंद मालवीय, पूर्णिमा मालवीय, सविता सक्सेना, निलय उपाध्याय, सुधीर सुमन सहित तमाम साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
ध्यातव्य है कि 'केदार सम्मान' व 'केदार शोध पीठ न्यास' के सचिव नरेंद्र पुंडरीक गत दिनों हुए अपनी माताजी के निधन के कारण इस कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाए।
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