उफ्फ!! धिक्कार है ऐसी औलादों पर...
मान गये माँ की ममता को एक साल में दो बार बेटे मिलते है वह भी ईद के दिन आगे कुछ नहीं .
लाचारी है... जीना तो है :(
औलाद तो जैसी है, माँ का दिल देखिये कि औलाद से कोई शिकवा शिकायत नही ।
आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मूल्यवान् है। ऐसी सार्थक प्रतिक्रियाएँ लक्ष्य की पूर्णता में तो सहभागी होंगी ही,लेखकों को बल भी प्रदान करेंगी।। आभार!
उफ्फ!! धिक्कार है ऐसी औलादों पर...
जवाब देंहटाएंमान गये माँ की ममता को एक साल में दो बार बेटे मिलते है वह भी ईद के दिन आगे कुछ नहीं .
जवाब देंहटाएंलाचारी है... जीना तो है :(
जवाब देंहटाएंऔलाद तो जैसी है, माँ का दिल देखिये कि औलाद से कोई शिकवा शिकायत नही ।
जवाब देंहटाएं