फादर कामिल बुल्के : प्रतिमा का अनावरण
विश्व प्रसिद्ध हिंदीसेवी व रामकथा के विशेषज्ञ और शब्दकोषनिर्माता फादर कामिल बुल्के के जन्मशताब्दी वर्ष में उनकी प्रतिमा का आज यहाँ अनावरण किया गया तथा उनके नाम पर एक अंतरराष्ट्रीय छात्रावास का उद्घाटन भी किया गया. महात्मा गाँधी अन्तराष्ट्रीय हिन्दी वि. वि. के कुलाधिपति एवं प्रख्यात आलोचक डॉ नामवर सिंह ने वि.वि. परिसर में निर्मित फादर कामिल बुल्के अंतरराष्ट्रीय छात्रावास का उद्घाटन किया और उनकी आवक्ष प्रतिमा का भी अनावरण किया.
१ सितम्बर १९०९ में बेल्जियम के रामस्कापले गाँव में जन्मे कामिल बुल्के ने इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद कोलकाता से संस्कृत में एम ए किया तथा इलाहाबाद से हिन्दी में एम ए किया और रामकथा उत्पत्ति एवं विकास पर इलाहाबाद वि वि से पीएच डी की उपाधि प्राप्त की और राँची में रहकर अपना सम्पूर्ण जीवन हिन्दी की सेवा में लगा दिया. १९७४ में पद्मभूषण से अलंकृत श्री बुल्के भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में रामकथा के विषय-विशेषज्ञ के रूप में जाने गए और कामिल बुल्के हिन्दी- अंग्रेजी शब्दकोष निर्माता के रूप में वे अमर हो गए.
प्रो. नामवर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यीशु के महान उपासक होने के बावजूद कामिल बुल्के ने रामकथा की सारी परम्पराओं के ज़रिए भारत की आत्मा को पहचाना था, उनके लिए राम का अर्थ किसी मंदिर-मस्जिद का विध्वंस या निर्माण नहीं, अपितु ज्ञान की सृजनात्मकता को रेखांकित करना था. पूरे भारत में पहली बार कामिल बुल्के की स्मृति में किसी भवन का उद्घाटन किया गया.
कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय वि. वि. में विदेशों से आने वाले छात्रों के लिए छात्रावास का नामकरण कामिलबुल्के के नाम पर होना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है.
वि. वि. में महापंडित राहुल सांकृत्यायन की प्रतिमा का अनावरण पिछले दिनों सिक्किम के राज्यपाल महामहिम बीपी सिंह के द्वारा किया गया था. इसी क्रम में समाजसेविका सावित्रीबाई फुले व प्रसिद्ध कवि गोरख पांडे की प्रतिमा का भी अनावरण होना है. इसके अतिरिक्त मुशी प्रेमचंद, भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाम पर सड़कों का नामकरण भी किया गया और वि.वि. की पाँच पहाड़ियों में से दो का नामकरण गाँधी हिल तथा कबीर हिल के नाम से रखा गया.
फादर कामिल बुल्के के स्मृति समारोह में वि. वि. के कुलपति विभूति नारायण राय, प्रतिकुलपति प्रो. ए अरविन्दाक्षन, कुलसचिव कैलाश खामारे, प्रो निर्मला जैन, प्रो. नित्यानंद तिवारी, प्रो. खगेन्द्र ठाकुर, प्रो. विजेंद्र नारायण सिंह, प्रो. सुरेन्द्र वर्मा, कवि आलोक धन्वा, अरुण कमल, प्रो.गंगाप्रसाद विमल, उषाकिरण खान, राजकिशोर, प्रो. सूरज पालीवाल,प्रो. आत्मप्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. शम्भू गुप्त व डॉ.अनिल पांडे सहित अन्य अनेकानेक गण्यमान्य लेखक विचारक व साहित्यकार उपस्थित थे.
श्रेष्ठ कार्य की बधाई।
जवाब देंहटाएंएक हिंदी सेवी को सच्ची श्रद्धांजलि॥
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंफ़ेसबुक पर मंजु महिमा जी ने लिखा -
जवाब देंहटाएं"बहुत अच्छा समाचार है ,फादर कामिले बुल्के का योगदान हिन्दी भाषा के लिए अद्भुत है।"
वैय्याकरण नारयण प्रसाद जी ने लिखा है -
जवाब देंहटाएं" कविता जी,
फ़ादर कामिल बुलके ने एक हिन्दी व्याकरण लिखा था । क्या आपने इसे देखा है ? यदि हाँ, तो इसकी scanned प्रति भेजने की कृपा करें । यदि किसी प्रकाशक ने हाल में इसे प्रकाशित किया हो तो कृपया प्रकाशन विवरण दें ।
सादर
नारायण प्रसाद "
फ़ेसबुक द्वारा प्रेषित सन्देश कि - अशोक पाण्डेय commented on your post.
जवाब देंहटाएंअशोक wrote
"बहुत अच्छी खबर बतायी आपने। फादर कामिले बुल्के जैसे महान हिन्दीसेवी का ऋण तो हम नहीं चुका सकते, लेकिन उन्हें स्मरण कर कृतज्ञता अर्पित तो कर ही सकते हैं।"
एक प्रणम्य विभूति की स्मृति को ताज़ा रखने का यह उपक्रम स्तुत्य है
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