सन्नाटे का छंद
अज्ञेय जी से सीधा दृश्य-संवाद : जन्मशताब्दी वर्ष पर विशेष
अज्ञेय जी से सीधा दृश्य-संवाद : जन्मशताब्दी वर्ष पर विशेष
कविता वाचक्नवी
गत दिनों स्वर- चित्रदीर्घा के पाठकों के लिए कवि अज्ञेय के स्वर में काव्यपाठ ( असाध्यवीणा ) प्रस्तुत किया था, जिसे मित्रों ने बहुत रोमांचकारी अनुभव की भाँति लिया| आज उस से और आगे बढ़ते हुए अज्ञेय जी को साक्षात देख - सुन पाने का यह क्रम प्रस्तुत कर रही हूँ | मुझे तो इन वीडियो में अज्ञेय जी को देखना अत्यंत दुर्लभ रोमांच से भर गया| उनकी कविता की प्रौढ़ता और गद्य की गंभीरता के अनुभवों के बीच से आगे बढ़ते आते, यकायक आज पर आ कर उन्हें अपने सृजन के बहाने मन में झाँकते देखने का यह विरल अवसर पहली बार देखने पर आप को भी मेरी तरह आलोड़ित करेगा व उनकी रचना प्रक्रिया को समझने की एक दृष्टि भी देगा | हर नए पुराने रचनाकार के लिए ये अनुभव पाथेय सिद्ध हो सकते हैं |
हिन्दी काव्यधारा के एक शीर्ष रचनाकार अज्ञेय की जन्मशताब्दी पर देश विदेश में बसे उनके प्रशसकों के लिए इला डालमिया की ओर से ( ५ भागों में प्रस्तुत यह वृत्तचित्र ( डॉक्यूमेंट्री ) एक विनम्र श्रद्धांजली तो है ही, साथ ही समूचे काव्यजगत् / साहित्यजगत् को एक अनूठी भेंट भी है|
उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए साहित्यिक सेवा में प्रस्तुत हैं क्रमशः वे पाँचों भाग -
1) : एक तनी हुई रस्सी है जिस पर मैं नाचता हूँ
2) : समाज में आने के लिए मुझे काफी प्रयत्न करना पड़ा
3) : मेरी घूमने की प्रवृत्ति और आज़ादी का आकर्षण
4) : कवि एक साथ ही पुरुष और स्त्री दोनों होता है
5) : यों मत छोड़ दो मुझे, सागर! यों मत छोड़ दो ...
nice
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार डॉ कविता जी.
जवाब देंहटाएंअद्भुत है ......अद्भुत....विस्म्रत हूँ इस धरोहर से......
जवाब देंहटाएंअज्ञेय जी का मै पन्खा हू.. सबसे पहले आपका साधुवाद करता हू और फ़िर इस पोस्ट को बुकमार्क..
जवाब देंहटाएंअद्भुत अमूल्य धरोहर ....आभारी हूँ.
जवाब देंहटाएंनवोत्पल (http://navotpal.ning.com/) पर साभार शेयर कर रहा हूँ...!!!
आपका आभार और धन्यवाद किन शब्दों में व्यक्त करूं, इतना आनंद पहली बार मिला- लगा जैसे कोई खजाना मिल गया है ।
जवाब देंहटाएं@श्रीश
जवाब देंहटाएंप्रयोग कर सकते हैं, जितने अधिक लोग देखें जानें, अच्छा ही है।
"....अज्ञेय को जितना पढ़ा उससे ज्यादा अदभुत रहा जीवंत देखना सुनना विडिओ में ही सही ..........हिदी सिपाही की ओर से आत्मीय सलूट।।
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