सुहानी रात ढल चुकी
शकील बदायूँनी के लिखे व नौशाद के संगीत निर्देशन में संगीतबद्ध किए इस सुरीले गीत को मोहम्मद रफ़ी ने अपना स्वर दिया|
`सुहानी रात ढल चुकी' गीत की रेकोर्डिंग के क्षणों को रेकोर्ड करने वाले इस वीडियो में रफ़ी साहब को आप साक्षात गाते तो सुन ही सकते हैं, साथ ही उस समय की संगीत और चित्र की रेकोर्डिंग आदि से जुड़े इतिहास के उस पक्ष को भी देख सकते हैं कि कैसे एक सिटिंग में एक गीत सीधे रेकोर्ड होता था, जिसका आज की तरह तकनीकी सम्पादन न होता था, परन्तु फिर भी संगीत के प्रति वह समर्पण ही संभवतः वह कारक था जो उस समय का संगीत अपनी गुणवत्ता में अधिक कर्णप्रिय, स्तरीय व संपन्न होता था, जिसकी न धुनें चुराई गई होती थीं, न शब्द भरती के होते थे|
कविता जी जहां तक मेरी जानकारी है ये वीडियो बंबई दूरदर्शन के लिए तैयार किया गया था । रफी साहब और नौशाद के कई गीत हैं इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग में और सभी इंटरनेट पर यहां वहां मौजूद हैं ।
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