केदार सम्मान (२००८) समारोह और "ललमुनिया की दुनिया"
प्रगतिशील हिन्दी कविता के शीर्षस्थ कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में दिया जानेवाला " केदार सम्मान" ( २००८ ) २२-२३ अगस्त २००९ को इलाहाबाद में संपन्न भव्य कार्यक्रम में समकालीन हिन्दी कविता के चर्चित कवि दिनेशकुमार शुक्ल को उनके कविता संकलन "ललमुनिया की दुनिया" के लिए, प्रख्यात आलोचक डॉ. नामवर सिंह के हाथों प्रदान किया गया।
"केदार व्याख्यानमाला " में सम्बोधित करते हुए प्रख्यात आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने केदार जी के व्यक्तित्व पर बोलते हुए कहा कि केदार नैसर्गिक सौन्दर्य के विश्वजनीय कवि हैं। "जवान होकर गुलाब / गा रहा है फाग " जैसी संश्लिष्ट बिम्ब की कविता हिन्दी, अंग्रेज़ी में कहीं नहीं । एन्द्रिकता केदार की कविता का बड़ा गुण है। कविता की दुनिया में केदार ने एक नई नैतिकता की नींव रखी। केदार, मनुष्य और प्रकृति जहाँ संयुक्त रूप से मिलते हैं, वहाँ के कवि हैं। नदी ,पहाड़ आदि के बहाने, अपनी धरती के बहाने, केदार दबी हुई जनता की बात बोलते हैं। अपने व्याख्यान में डॉ.नामवर सिंह ने केदार की अनेक कविताओं का उल्लेख किया। इस व्याख्यानमाला के सत्र का संचालन महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय विस्तारकेन्द्र (इलाहाबाद) के निदेशक सन्तोष भदौरिया ने क्षेत्रीय परिसर के सत्यप्रकाश मिश्र सभागार में किया। इस अवसर पर वि. वि. के कुलपति विभूति नारायण राय विशेष रूप से उपस्थित रहे। उपस्थितों में मार्कण्डेय सिंह, दिनेशकुमार शुक्ल, प्रो. फ़ातमी, अजीत पुष्कल, अनुपम आनन्द, रामजी राय, प्रणय कृष्ण, नरेन्द्र पुण्डरीक,श्रीप्रकाश मिश्र, जयप्रकाश धूमकेतु, प्रकाश त्रिपाठी, नीलम राय, सूर्यनारायण सिंह, मुश्ताक अली, विनोद कुमार शुक्ल, महेन्द्रपाल जैन, हरिश्चन्द्र पाण्डेय, विभूति मिश्र, चन्द्रपाल कश्यप, लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी आदि के नाम उल्लेनीय हैं।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में समकालीन हिन्दी कविता का विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण सम्मान "केदार सम्मान-२००८" समकालीन हिन्दी कविता के चर्चित कवि दिनेश कुमार शुक्ल को उनके कविता संग्रह "ललमुनिया की दुनिया " के लिए प्रख्यात आलोचक डॉ. नामवर सिंह एवम् कुलपति बी.एन.राय के हाथों प्रदान किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत सुधीर कुमार सिंह द्वारा किया गया। दिनेशकुमार शुक्ल की कविताओं पर बोलते हुए प्रणय कृष्ण ने कहा कि दिनेश कुमार शुक्ल की कविताएँ इस भूमंडलीय समय पर एक बहुत बड़ा हस्तक्षेप करती हैं। इनका यह हस्तक्षेप भाव और सम्वेदना के स्तर पर सीमित न रह कर विचार के स्तर पर पहुँच कर पाठक को झकझोरता है। इस अवसर पर सम्मानित कवि दिनेश कुमार ने अपने वक्तव्य में बाँदा में कवि केदारनाथ अग्रवाल के अपने सान्निध्य के दिनों का स्मरण किया, बाँदा की धरती को याद किया, नदी, पहाड़, खेती और किसानों को याद किया।
इस अवसर पर रामजीराय ने अपने वक्तव्य में कहा कि दिनेश कुमार शुक्ल बड़े कवि हैं, इनकी कविताएँ बाज़ारवाद से उत्पन्न त्रासदियों के विरुद्ध हर कहीं खड़ी दिखाई देती हैं। विषय के वैविध्य के साथ शिल्प के स्तर पर भी इनकी कविताएँ चमत्कृत करती हैं।
अवसर पर अपने वक्तव्य में डॉ. नामवर सिंह ने कहा कि दिनेश कुमार शुक्ल वास्तव में समकालीन हिन्दी कविता के बड़े कवि हैं। बाज़ारवाद के महासमुद्र में फँसी डूबती दुनिया के लिए गहन अंधेरे में प्रकाश स्तम्भ की तरह हैं। दिनेश कुमार शुक्ल की कविताएँ केदार जी की परम्परा की कविताएँ हैं। वाकई वह इस सम्मान के सही अधिकारी ठहरते हैं।
कार्यक्रम के अन्त में दिनेशकुमार शुक्ल ने अपनी कविताओं का बहुत प्रभावी पाठ किया, जिसे सुनकर श्रोताओं को निराला और शिवमंगल सिंह सुमन के प्रभावी अद्भुत काव्यपाठों की स्मृति हो आई।
"केदार सम्मान" - सत्र का संचालन ‘बहुवचन’ के सहसम्पादक प्रकाश त्रिपाठी ने और धन्यवाद ज्ञापन विशेष कर्तव्य अधिकारी राकेश ने किया।कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में समकालीन हिन्दी कविता का विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण सम्मान "केदार सम्मान-२००८" समकालीन हिन्दी कविता के चर्चित कवि दिनेश कुमार शुक्ल को उनके कविता संग्रह "ललमुनिया की दुनिया " के लिए प्रख्यात आलोचक डॉ. नामवर सिंह एवम् कुलपति बी.एन.राय के हाथों प्रदान किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत सुधीर कुमार सिंह द्वारा किया गया। दिनेशकुमार शुक्ल की कविताओं पर बोलते हुए प्रणय कृष्ण ने कहा कि दिनेश कुमार शुक्ल की कविताएँ इस भूमंडलीय समय पर एक बहुत बड़ा हस्तक्षेप करती हैं। इनका यह हस्तक्षेप भाव और सम्वेदना के स्तर पर सीमित न रह कर विचार के स्तर पर पहुँच कर पाठक को झकझोरता है। इस अवसर पर सम्मानित कवि दिनेश कुमार ने अपने वक्तव्य में बाँदा में कवि केदारनाथ अग्रवाल के अपने सान्निध्य के दिनों का स्मरण किया, बाँदा की धरती को याद किया, नदी, पहाड़, खेती और किसानों को याद किया।
इस अवसर पर रामजीराय ने अपने वक्तव्य में कहा कि दिनेश कुमार शुक्ल बड़े कवि हैं, इनकी कविताएँ बाज़ारवाद से उत्पन्न त्रासदियों के विरुद्ध हर कहीं खड़ी दिखाई देती हैं। विषय के वैविध्य के साथ शिल्प के स्तर पर भी इनकी कविताएँ चमत्कृत करती हैं।
अवसर पर अपने वक्तव्य में डॉ. नामवर सिंह ने कहा कि दिनेश कुमार शुक्ल वास्तव में समकालीन हिन्दी कविता के बड़े कवि हैं। बाज़ारवाद के महासमुद्र में फँसी डूबती दुनिया के लिए गहन अंधेरे में प्रकाश स्तम्भ की तरह हैं। दिनेश कुमार शुक्ल की कविताएँ केदार जी की परम्परा की कविताएँ हैं। वाकई वह इस सम्मान के सही अधिकारी ठहरते हैं।
कार्यक्रम के अन्त में दिनेशकुमार शुक्ल ने अपनी कविताओं का बहुत प्रभावी पाठ किया, जिसे सुनकर श्रोताओं को निराला और शिवमंगल सिंह सुमन के प्रभावी अद्भुत काव्यपाठों की स्मृति हो आई।
- नरेन्द्र पुण्डरीक
सचिव,
केदार शोध पीठ न्यास, बाँदा
सचिव,
केदार शोध पीठ न्यास, बाँदा
दिनेश कुमार शुक्ल जी को केदार सम्मान के लिए बधाई। ‘बडे कवि’ का सम्मान ‘बडे आलोचक’ के हाथों हुआ, तो कार्यक्रम बडा होगा ही। ललमुनिया को बधाई।
जवाब देंहटाएंदिनेश कुमार शुक्ल जी को बधाई!
जवाब देंहटाएंरपट अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंदिलेटक कुमार शुक्ल जी को बहुत बधाई!
टिप्पणी टंकण में त्रुटि हो गई है, क्षमा करें।
जवाब देंहटाएंदिनेश कुमार शुक्ल जी को बहुत बधाई!
इलाहाबाद में कार्यक्रम था। अगले दिन दिनेश जी से मुलाकात हुई। बड़े सहज और प्रखर लगे।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ पर आप सभी मेरे ब्लोग पर पधार कर मुझे आशीश देकर प्रोत्साहित करें ।
जवाब देंहटाएं” मेरी कलाकृतियों को आपका विश्वास मिला
बीत गया साल आप लोगों का इतना प्यार मिला”