राष्ट्रीय विचार मंच की काव्यगोष्ठी संपन्न





राष्ट्रीय विचार मंच की काव्यगोष्ठी संपन्न









हैदराबाद, २० मई, 2009

राष्ट्रीय विचार मंच के आंध्र प्रदेश प्रकोष्ठ के तत्वावधान में यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के संगोष्ठी कक्ष में एक विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो. टी. मोहन सिंह ने की। टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) से पधारे वरिष्ठ गाँधीवादी कार्यकर्ता और लेखक हरिश्‍चद्र पुष्प मुख्य अतिथि के रूप में तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान के आचार्य डॉ. हेमराज मीणा, वरिष्ठ कवि डॉ. दिवाकर पांडेय तथा प्रतिष्ठित पत्रकार डॉ. रामजी सिंह उदयन विशेष अतिथि के रूप में मंचासीन हुए।

आरंभ में विचार मंच की अध्यक्ष डॉ. कविता वाचक्नवी ने अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें अंगवस्त्र से सम्मानित किया। उन्होंने राष्ट्रीय विचार मंच की गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय अखंड़ता की चेतना प्रसारित करने के लिए समय-समय पर विचार विमर और रचना पाठ के आयोजन किए जाते हैं तथा दिल्ली से त्रैमासिक पत्रिका ‘विचार दृष्टि’ का प्रकाशन किया जाता है।

‘विचार दृष्टि’ (त्रैमासिक) के दो नए अंकों की सामग्री का विवेचन करते हुए डॉ. बलविंदर कौर ने कहा कि राष्ट्रीयता और वैचारिकता इस पत्रिका की स्थायी विशेषता है। उन्होंने पत्रिका की संपादकीय निर्भीकता और स्पष्ट कथन की विशेष प्रशंसा की।

मुख्य अतिथि हरिश्‍चद्र पुष्प ने अपने संबोधन में हिंदी साहित्य के संवर्धन में अपनी जन्मभूमि बुंदेलखंड के योगदान की चर्चा की। उन्होंने दक्षिण भारत के हिंदी लेखकों के कार्य को इस दृष्टि से विशिष्ट बताया कि उसके माध्यम से हिंदी सही अर्थों में सामासिक संस्कृति की द्योतक बन सकी है।

विचार गोष्ठी के अनंतर संपन्न काव्य गोष्ठी का संचालन प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्यकार वेणुगोपाल भट्टड़ ने किया। प्रो. टी. मोहन सिंह, प्रो. हेम राज मीणा, प्रो. ऋषभदेव शर्मा, प्रो. पी.माणिक्यांबा ‘मणि’, डॉ. दिवाकर पांडेय, डॉ. रामजी सिंह उदयन, डॉ. कविता वाचक्नवी, डॉ. अहिल्या मिश्र, डॉ. पी.सी. जैन, गुरुदयाल अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, कैलासनाथ, विजयकुमार, भँवरलाल उपाध्याय ‘भँवर’, एस.के.जैन लौंगपुरिया, अभिलाषा राठी, श्रद्धा तिवारी, गायत्री देवी, अर्पणा दीप्ति, पवित्रा अग्रवाल, कैलाशवती, वीर प्रकाश लाहोटी ‘सावन’ और वेणुगोपाल भट्टड़ ने अपनी उपस्थिति और सरस काव्य पाठ द्वारा कार्यक्रम को रोचक और सफल बनाया। डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने धन्यवाद प्रकट किया।


- डॉ. कविता वाचक्नवी
अध्यक्ष, राष्ट्रीय विचार मंच
आंध्र प्रदेश प्रकोष्ठ, हैदराबाद





2 टिप्‍पणियां:

  1. निस्संदेह दक्षिण भारत के हिंदी लेखकों के लेखन से हिंदी सही अर्थों में सामासिक संस्कृति की द्योतक बन सकी है.

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