वेदप्रकाश वैदिक बहुत ही विश्लेषणात्मक तरीके से लिखते हैं. शालेय जीवन के दौरान मैं ने पहली बार इनका भाषण सुना था.सस्नेह -- शास्त्री
बहुत लाजवाब लेख है. वैदिक भाई साहब को नमन.रामराम.
योगाभ्यास को धर्म से जोडना बेमानी है पर जब मज़हब की बात आती है तो मानी-बेमानी तर्क सब कुछ बेमानी हो जाता है और धर्मभीरूता जीत जाती है। हमें इंडोनेशिया के लोगों से हमदर्दी है कि वे इस तकनीक का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
क्या कहे कल को आसमान को भी बाँट देगे लोग मजहब में
सामयिक और सद्भावनापूर्ण लेख के लिए लेखक प्रशंसा के पात्र हैं.
सुन्दर चिंतन करता हुआ सार्थक लेख.शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मूल्यवान् है। ऐसी सार्थक प्रतिक्रियाएँ लक्ष्य की पूर्णता में तो सहभागी होंगी ही,लेखकों को बल भी प्रदान करेंगी।। आभार!
वेदप्रकाश वैदिक बहुत ही विश्लेषणात्मक तरीके से लिखते हैं. शालेय जीवन के दौरान मैं ने पहली बार इनका भाषण सुना था.
जवाब देंहटाएंसस्नेह -- शास्त्री
बहुत लाजवाब लेख है. वैदिक भाई साहब को नमन.
जवाब देंहटाएंरामराम.
योगाभ्यास को धर्म से जोडना बेमानी है पर जब मज़हब की बात आती है तो मानी-बेमानी तर्क सब कुछ बेमानी हो जाता है और धर्मभीरूता जीत जाती है। हमें इंडोनेशिया के लोगों से हमदर्दी है कि वे इस तकनीक का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंक्या कहे कल को आसमान को भी बाँट देगे लोग मजहब में
जवाब देंहटाएंसामयिक और सद्भावनापूर्ण लेख के लिए लेखक प्रशंसा के पात्र हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चिंतन करता हुआ सार्थक लेख.
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति के लिए आभार.