पाकिस्तान को घोषित करें आतंकवादी राष्ट्र
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
पाकिस्तान तो बचा-बचाया ही है। पाकिस्तान भारत से छोटा है लेकिन छोटे मियाँ सुभानअल्लाह ! पाकिस्तान के नेताओं ने भारतीय नेताओं को ऐसी कूटनीतिक पटकनी मारी है कि उन्हें पल्ले ही नहीं पड़ रहा कि वे अब क्या करें ? पाकिस्तान ने मुंबई की गेंद अमेरिका के पाले में डाल दी है। अब हमारे चिदम्बरम वाशिंगटन जाएँगे और बुश की चिलम भरेंगे। बुश की चिलम पहले से ही भरी हुई है, पाकिस्तानी तंबाखू से ! पाकिस्तानियों ने अमेरिकियों को जितना बेवकूफ बनाया है, दुनिया के किसी भी राष्ट्र ने नहीं बनाया है। पिछले सात साल में 12 अरब डालर ढीले कर दिए अमेरिका ने ! पाकिस्तान के फौजियों ने इस पैसे से सबसे पहले अपनी जेबें भरीं, फिर भारत से लड़ने के लिए हथियार खरीदे और अमेरिका को अंगूठा दिखा दिया। आज तक न उसामा बिन लादेन पकड़ा गया और न ही मुल्ला उमर ! वजीरिस्तान, स्वात घाटी और सीमांत के अनेक क्षेत्रों में तालिबानी शिकंजा कसता चला जा रहा है। अफगानिस्तान में उसकी पहुंच अब काबुल तक हो गई है। पाक-अफगान सीमांत पर अमेरिकी मर रहे हैं। सारे पाकिस्तान में अमेरिकियों की थू-थू हो रही है और हमारी सरकार है कि उसने अपना गोवर्धन पर्वत अमेरिका की चिट्टी उंगली पर टिका दिया है। जो अमेरिका अपने मुँह पर भिनभिना रही मक्खियाँ नहीं उड़ा सकता, वह भारत के लिए शेर मारेगा, यह सोच कितना भोला है ? इस सोच पर कौन न मर जाए, या खुदा !
यदि भारत सरकार को पूरा विश्वास है कि मुंबई हमले के लिए पाकिस्तान के गैर-सरकारी ही नहीं, सरकारी तत्व भी जिम्मेदार हैं तो अमेरिकी शरण में जाने से क्या फायदा है ? अमेरिका क्या कर लेगा ? क्यों वह अपनी थैली का मुँह बंद कर लेगा ? क्या वह पाकिस्तान को हथियार देने पर रोक लगा देगा ? ऐसा किए बिना वह पाकिस्तान पर रत्ती भर असर भी नहीं डाल सकता। चिदंबरम अपने प्रमाण किसको दिखाएँगे ? क्या प्रत्यक्ष को भी प्रमाण की जरूरत होती है ? मुंबई की सच्चाई क्या है, यह सबको पता है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार को सीधे सुरक्षा परिषद में जाना चाहिए। संयुक्तराष्ट्र महासभा में जाना चाहिए। दुनिया के राष्ट्रों से घोषित करवाना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवादी राष्ट्र है। पाकिस्तान पर वे सारे प्रतिबंध लगवाना चाहिए, जो कभी मुअम्मर कज्जाफी के लीब्या पर, तालिबान के अफगानिस्तान पर और सद्दाम हुसैन के एराक़ पर लगाए गए थे।
भारत अपने आप कॊ ही कमजोर सिद्ध करने पर तुला है, इस अमेरिका को क्या मतलब ,मरना तो सब ने एक दिन है ही लेकिन शर्म शार हो कर मरने से तो अच्छा है.....अमेरिका हमारा बाप तो नही जिसे हम अपने सर पर चढा रहे है,बार बार कमजोर बच्चे की तरह से अपनी शिकायत ले कर जा रहे है....
जवाब देंहटाएंमुफ़्त मै जगहसाई भी हो रही है,
आप ने लिखा बिलकुल सही है, लेकिन यह सब बाते आम भारतीय तो समझ रहा है, लेकिन हमारे खास नेता कबुतर की तरह से आंखे बन्द किये बेठे है शायद बिल्ली उन्हे ना देखे... यह सब उस कबुतर की तरह बेब्कुफ़ है... आप तो यह मरेगे लेकिन इस देश को भी ले डुबेगे.
धन्यवाद
विस्तृत आलेख में अनेक सार्थक संदेश भी दिए गए हैं
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख है कविता जी एवं वैदिक जी
आपका
- विजय
maine aaj tak suna hi tha, ki kalam mai bahut takat hoti hai. aap ka lekh usmai bilkul sarthak hai.
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